भारत स्वाभिमान मुरादाबाद ॐ 07/08/12
काला धन वापिस लाने को अब दिल्ली है दूर नहीं
लोकपाल बिल पास कराने को दिल्ली है दूर नहीं
पैसठ वर्ष बीतने आये सब क़ानून विदेशी हैं-
तंत्र विदेशी के ढाने को अब दिल्ली है दूर नहीं
लाखो लोग भूख से मरते, लाखो
हत्याए होती
भ्रष्टाचार
बढ़ा दिन-दूना लाखो विधवाएं रोती
अब लाये भी नहीं सुरक्षित, आंसू से आँखे धोती
'मनरेगा' या 'मिड-डे' भोजन सफल सफल हुए भरपूर नहीं
धनिक और निर्धन के मध्ये, बढती
चौड़ी खाई है
धन कि तृष्णा ने प्रतिभा अब अपनी दूर भगाई है
'राष्ट्रवाद' जब से भूले तब से बिगड़ी तरुणाई हँ
बिना परिश्रम धन मिल जाए यह कोई दस्तूर
नहीं
सत्ताधीश शीर्ष पर बैठे, और
चल रहा बंदरबाट
लिए ताश कि गड्डी ऐंठे, स्वयं रहे हिन् पत्ते फांट
अफसर नेता मिले परस्पर कसती जाती इनकी गाँठ
बोलो कौन राजनेता जो हुआ आज मगरूर नहीं
छः दशको के बाद देश ने,
ले ली अब अंगडाई है
संतो का नेतृत्व मिला है, मचल उठी तरुणाई है
काला-धन वापिस लाने को ऐसी अलख जगाई है
यह धन होगा राष्ट्र-संपदा वह दिन भी है
दूर नहीं
योग-मार्ग का लिया सहारा, राष्ट्रवाद
तक आये हैं
रोग-शोक से हमें बचाकर दुश्मन दूर भगाए हैं
बड़े नोट का चलन बंद हो रोजगार भी लाये हैं
चले दुहरी शिक्षा पद्यति यह हमको मंजूर
नहीं
सजग हुए सब संत-शिरोमणी, जाग
उठी है तरुणाई
नर-नारी सब हैं आंदोलित, सत्ता पर आफत आई
'सपनो का भारत' लायेंगे, निति
सभी ने अपने
विश्व प्रदूषण-मुक्त बने अब, यह
इच्छा भी दूर नहीं
कथनी-करनी के अंतर को अधिक न अब हम झेलेंगे
जो अपने अधिकार उचित हैं, अनशन करके लेलेंगे
सत्याग्रह संकल्प हमारा, खेल
समझ कर खेलेंगे
'दिल्ली' कि 'किल्ली' हिल जाए वह दिन भी अब दूर नही
शिव अवतार सरस
मालतिनगर, मुरादाबाद
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