भारत स्वाभिमान मुरादाबाद ॐ ०१-०१-२०१२
".सच के सामना के इक करोड़ रूपये छोडे ....शरीर को कष्ट दिया ...आप सही हैं चर्चा-चक्रवर्ती भाई क्यूँ की आप लैपटॉप पर बैठ कर देश भक्त हैं ....मैं सरकार से लड़कर देशद्रोही हूँ ...मुझे माफ़ करें ...इतिहास आप को अवस्य आप के सक्रिय योगदान के लिए याद रखेगा ....चलते-चलते आप की सूचना के लिए बता दूँ की मैं ये लड़ाई जारी रखुगा ...जिन्दा रहूँगा तब तक ...मेरा पता सब को पता है ...आप सब अपने जूतों , थप्पड़ों , गोलियों ,गालियों .ज़हर और सलीब के साथ सादर आमंत्रित हैं ....कसाब, अफज़ल ज़िन्दा रहे पर हम जैसों को ज़रूर मर जाना चाहिए
आदरणीय श्री कुमार विश्वास जी
नमस्कार
आपकी बाबा रामदेव तथा हिन्दू देवताओ के विषय में की गयी टिप्पड़िया सुनी तथा आपका उपहास और परिहास का अंतर भी पढ़ा. यकीन मानिये पढ़ कर बिलकुल अच्छा नहीं लगा उसके बाद आपके द्वारा दिए गए इस बयान को भी पढ़ा
कुमार विश्वास |
"वो घर में रह कि भी खुद को रहीम कहता रहा
मैं राहे-जंग में रह कर कबीर होता गया ....""
सबसे पहले चर्चा- चक्रवर्ती होने की बात को लेते हैं. भाई साहब आप को समझना होगा की हम जो चर्चा- चक्रवर्ती हैं न वही आपके एक अहवाह्न पर सडको पर उतरने वाले भी हैं अंतर सिर्फ यह ही है की आप ईमारत का वह हिस्सा हैं जो दिखाई देता है और हम वह हिस्सा हैं जो नीव कहलाता है और नीव इसलिए क्योकि यदि हम सडको पर नहीं उतरेंगे तो सरकार आपको एक दिन में उखाड़ फैकेगी इसलिए कृपया ध्यान रखें. आपको अपने १ करोड़ रु. खोने का दुःख है तो आपको एक बात मै भी कहना चाहूंगी आप अकेले ही ऐसे नहीं है यहाँ और भी है जिन्होंने अपना घर द्वार, करिएर, नोकरी और पढाई तक छोड़ दी है देश की खातिर. न जाने कितने हैं जिन की नोकरी तक दिन रात दांव पर लगी रहती है. न जाने कितने लोग है जो किसी भी आन्दोलन में भाग लेने के लिए बहुत सी छुट्टी लेते रहते हैं और छुट्टी न मिलने पर ऐसे भाग जाते हैं. मै स्वयं अपनी ऍम.बी.ए. की पढाई को दाव पर लगा कर अपने दो छोटे छोटे बच्चो के साथ आन्दोलनरत रहती हूँ. मेरे बच्चे भी जिनकी उम्र ४ व ७ वर्ष है भारत माता की जय और वन्दे मातरम के नारे लगाते हुए मेरे साथ रहते हैं. उनकी पढाई भी दांव पर है. अंतर इतना है की आप की कमाई लाखो में है तो आपका लाखो का नुक्सान होता है हमारी कमाई हजारो में है तो हमारा सिर्फ कुछ हजार का नुकसान होता है. आप तो आन्दोलन के बाद एक शो से ही फिर लाखो कमा लेंगे किन्तु हमारी छूटी हुई पढाई या नोकरी फिर नहीं मिलेगी.
आप समाज के उस वर्ग में सम्मिलित हो चुके हैं जिनसे हजारो लाखो लोग प्रेरणा लेते हैं. आपके द्वारा कहा गया एक एक वाक्य उनके लिए प्रेरणा होता है. इतना सम्मान और जिम्मेदारी सँभालने के लिए मनुष्य को बहुत सारा कर्तव्य बोध भी हो यह आवश्यक हो जाता है किन्तु क्षमा कीजिये आपमें वह कर्त्तव्य बोध नहीं है. अक्सर टीम अन्ना के लोग इसी तरह गलत बयानी करके फसते रहे हैं. आपको यह ध्यान होना ही चाहिए की आप क्या कहने जा रहें हैं. बाबा रामदेव के बारे में आपके द्वारा किये गए परिहास(उपहास) को हम किसी भी कीमत पर सहन नहीं कर सकते. वह हमारे लिए उसी प्रकार आदरणीय हैं जिस प्रकार अन्ना जी. आपकी जानकारी के लिए बता दूं की मै इस आन्दोलन से उस समय से जुडी हूँ जब अन्ना जी को महाराष्ट्र से बाहर कोई नहीं पहचानता था. भारत स्वाभिमान के आन्दोलन में मै काफी समय से सक्रिय हूँ. बाबा हमारे आदर्श और अनुकर्णीय हैं.
एक बात जो मै स्पष्ट रूप से रचना कार होने के नाते जानती हूँ की कवि या लेखक के मुह या तुलिका पर वही आता है जो उसके ह्रदय में होता है इसी से मै समझ सकती हूँ की आपके ह्रदय की तरंगे क्या हैं. विश्वास साहब आपसे एक बात पूछना चाहूंगी जो आपने अपनी सफाई में यह कहा है न की बाबा आपके भी आदरणीय हैं और उनके बारे में कही गयी बाते मात्र परिहास हैं, ऐसा ही परिहास आप कभी टीम अन्ना के सदस्यों केजरीवाल साहब तथा बेदी जी तथा अपने बारे में क्यों नहीं करते क्योकि इस तरह के आरोपों से आप सभी घिर चुके हैं? भूषण साहब के बारे में परिहास क्यों नहीं करते? उनके पड़े चपत पर आप इस प्रकार परिहास क्यों नहीं करते की भूषण साहब हमने आपसे मना किया था की आपकी अच्छी खासी वकील की दुकान है यह देश भक्ति आपके बसकी नहीं लेकिन आप माने नहीं अब सहिये चपत. या ये क्यों नहीं परिहास करते की भूषण जी से हम यह सीखे की जब तक लोकपाल बिल से काम चले तब काम चलाओ फिर कश्मीर को देश से अलग करने का षड्यंत्र रचने लगो. आप यह परिहास क्यों नहीं करते की बेदी जी से हम यह सीखे की किस तरह स्यानपती करके अपने एन.जी.ओ. के लिए धन बचाया जाता है(हलाकि मै व्यक्ति गत रूप से उनकी भावनाओ का सम्मान तो करती हूँ पर पूर्ण रूप से सहमत नहीं हूँ). आप इस तरह का परिहास अन्ना जी के बारे में क्यों नहीं करते?
आप कहते हैं की अन्ना जी तो फकीर आदमी हैं बाबा रामदेव व्यापारी हैं. हमे अन्ना जी के फकीर होने पर शक नहीं है किन्तु आप बताएं की बाबा की फकीरी में कोनसी कमी है.रही उनके व्यापारी होने की बात यदि आप बाबा जी से पूरी तरह परिचित हैं तो आप जानते ही होंगे की वह व्यापर क्यों करते हैं और यदि आप उनकी मूल भावना को नहीं पहचानते तो आपको उनके बारे में कुछ भी कहने का अधिकार नहीं पहले आप उनके बारे में कुछ जान लीजिये तभी कुछ कहना. मै तो सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगी की जिस दिन देश के हर घर में एक बाबा जैसा व्यापारी हो जायेगा उस दिन इस देश का उद्धार ही हो जायेगा.
जिस तरह आपने उनके रामलीला मैदान से सलवार पहन के भागने का मजाक बनाया है उससे तो यही लगता है की आपने क्रांतिवीरो की कहानी नहीं पढ़ी जिन्होंने सदा ही देश हित में अपने प्राणों की रक्षा की. आप इस प्रकार सुभाष चन्द्र बॉस की शहादत का अपमान करते है क्योकि आपके अनुसार वह देश छोड़ कर भाग(?) गए थे. सरदार भगत सिंह ने सिक्खों की आन पगड़ी, केश, और कृपाण का बलिदान देकर अंग्रेजो का हैट धारण कर लिया था. और एक बात और की सलवार और तलवार में अधिक अंतर नहीं है क्योकि मेरे देश की अनेक वीरांगनाओ ने समय-समय पर तलवार भी उठा ली है और क्रांतिवीरो की माताए सदा से इस देश की खातिर अपने वीर पुत्रो की बलि देती आई हैं.
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मुझे पता है की अब कुछ लोग मेरे ऊपर कांग्रेसी होने का इल्जाम लगायेगे कुछ कहेंगे की मै देश तोड़ने का षड्यंत्र रच रही हूँ. कुछ आन्दोलन को बर्बाद करने का इलज़ाम लगायेंगे. मै यही कहूँगी ये सारे प्रश्न आप कुमार जी से भी पूछिये ये इल्जाम उन पर भी आने चाहिए उनको भी कोंग्रेसी बताना होगा क्योकि इस सब की शुरुआत उन्होंने ही की थी. कुमार जी ये सारी बाते हजारो युवाओ के बीच में खड़े होकर बोलते हैं सोचिये क्या असर होगा उन पर जो टीम अन्ना के एक-एक शब्द को पत्थर की लकीर मानते है. आप खुद इन दोनों आन्दोलनों के मध्य दीवार बन रहें हैं. दोनों ही देशहित को साधने वाले आन्दोलन हैं हमे सेतु का काम करना होगा इस तरह फूट डालने का नहीं. पता नहीं क्यों आपने भी कुमार जी, इस बात पर यही कहा है की आपके विरोधी ही फेक आई. डी. बनाकर आपका विरोध कर रहें हैं आपको समझना होगा की जिस प्रकार आपके समर्थक हैं उसी प्रकार बल्कि उससे ज्यादा बाबा जी के भी समर्थक हैं जिनको इस प्रकार की बातो से धक्का लगता है. यह परिहास(उपहास) हमे सहन नहीं.
आप यदि किसी साम्नित पद पर हैं तो आपको कुछ भी कहने से पहले सो बार सोचना होगा की कही इस बात का नकारात्मक प्रभाव तो नहीं होगा. मेरा आपसे कर बद्ध निवेदन है की आगे से कुछ भी कहने से पहले सोच लें और सच्चाई को स्वीकार करना भी सीखे उन्हें उपहास और परिहास जैसे कुतर्को से ढकने की कोशिश न करें.
धन्यवाद
गीतांजलि शर्मा आर्य