चोर, डाकू, लुटेरे और इनके प्रशंसक तथा समर्थक हमारे ऊपर शासन न करें। सुखस्य मूलं धर्म:। धर्मस्य मूलं अर्थ:। अर्थस्य मूलं राज्स्य। राज्स्य मूलं इन्द्रियजय:।
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