भारत स्वाभिमान मुरादाबाद ॐ २१-७-२०१२
कालाधन, भ्रष्टाचार व अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ
१२१ करोड़ लोगो के हक़ या न्याय की लड़ाई
१. आज का भारत: १० लाख ६७ हज़ार करोड़ रूपये का कोयला घोटाला या घाटा (वास्तविक कोयला घोटाला २०० लाख करोड़ का हुआ है तथा देश में कुल ज्ञात कोयला ११४४ लाख करोड़ रूपये का है), १लाख ७६ हज़ार करोड़ का टू जी घोटाला, ७० हज़ार करोड़ रूपये का कामन वेल्थ घोटाला, हजारो करोड़ का आदर्श घोटाला, बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, रोटी(अनाज), कपडा व मकान से लेकर चारा तक चारों तरफ ज्ञात अज्ञात घोटालों की भरमार है. ऐसी केन्द्र सरकार को क्या सत्ता में बने रहने का नैतिक व संवैधानिक अधिकार है? वोट मिलने व बहुमत होने पर भी यदि सरकार देश के साथ न्याय नहीं का पा रही है तो वह सत्ता में बने रहने का हक़ खो देती है.
२. समाधान क्या है?: या तो केंद्र सरकार इमानदारी से अपना फ़र्ज़ निभाए, कालाधन देश को दिलवाए व भ्रष्टाचार को जड़मूल से मिटाए और यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो देश की जनता लोकतंत्र में सर्वोपरि है-हम सब मिलकर संघर्ष करेंगें. अब वे ही लोग संसद में जायेंगे व केन्द्र में सरकार बनायेंगे, जो देश को कालाधन दिलाएंगे, भ्रष्टाचार मिटायेंगे व इस भ्रष्ट व अन्यायपूर्ण व्यस्वस्था को बदलकर सबको आर्थिक व सामाजिक न्याय दिलवाएंगे.
३.सेवा के साथ निर्माण का संघर्ष: सेवा व चरित्र निर्माण रचनात्मक कार्य के साथ हमें राष्ट्र निर्माण व युग निर्माण हेतु इस आंदोलन के लिए संघर्ष करना है. राष्ट्र निर्माण के कर्त्तव्य पालन के साथ हम अपने हक़ व अधिकार की लड़ाई लड़ रहे है. लाखो वीर वीरांगनाओ के बलिदान की बदोलत हमें आज बोलने व वोट करने की आज़ादी मिली है. शोषण व अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करके हमे देश को खड़ा करना है. वोट की ताकत को देशहित में इस्तेमाल करके निष्कलंक योग्य लोगो को संसद भेजना है.
४. प्रायोजित झूठ: भारत एक गरीब देश है तथा यहाँ के साधनहीन, भूमिहीन, गरीब व पिछड़े लोगो का कभी भी पूरा भला व उत्थान नहीं हो सकता, यह प्रायोजित झूठ षड्यंत्रकारी ताकतवर पूंजीवादी व सामंतवादी लोगों के द्वारा सदियों से फैलाया जा रहा है जबकि सत्य यह है की भारत जैसा धनवान व महान देश विश्व में कोई दूसरा है ही नहीं. आवश्यकता देश के नागरिको को देश के संसाधनों, सत्ता व व्यवस्थाओं में बराबर का हक़ दिलाने की है व सम्पत्ति की न्यायपूर्ण वितरण की है.
५. देश व देशवासियों की वास्तविक शक्ति व संपत्ति: भारत की लगभग ३ लाख वर्ग किलोमीटर की भूमि, कोयला, लोहा, सोना, चांदी, हीरा एलुमिनियम, गैस व तेल आदि ८९ प्रकार की भू-संपदाए हैं जो लगभग २० हज़ार लाख करोड़ रूपये की संपत्ति ही. इसके अलावा जल, जंगल जमीन, जड़ी बूटियों व लगभग ६० करोड़ युवाशक्ति के साथ १२१ करोड़ लोगो की मानव संसाधन के रूप में अपरिमित शक्ति हमारे राष्ट्र में है. जब इन भू सम्पदाओ में ही सबको बरबा का हक़ मिलेगा और देशवासियों में इसका न्याय पूर्ण वितरण होगा, तो एक-एक व्यक्ति को लगभग २-२ करोड़ और एक-एक परिवार को लगभग १०-१० करोड़ रूपये मिलेंगे और इसी प्रकार जब कालाधन देश को मिलेगा, तो एक-एक परिवार को लगभग १५-२० लाख रूपये मिलेंगे अथवा संपत्ति पर उनका प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वामित्व होगा और हिंदुस्तान में एक भी व्यक्ति गरीब नहीं रहेगा. यदि इस कालेधन को गाँव व जिले के विकास के हिसाब से देखे तो एक-एक गाँव के हिस्से में १०० करोड़ तथा जिले के हिस्से में ६० हज़ार करोड़ आयेंगे. लगभग ४०० लाख करोड़ रूपये अंग्रेजो व अन्य विदेशी लूटो ने लुटे तथा आज़ादी के बाद लगभग ४०० लाख करोड़ रूपये अपने ही देश के कुछ बेईमान नेताओ ने खुद लुटे व अन्यों से लुटवाए तथा अब भी देश की आधी से ज्यादा अर्थव्यस्था पर विदेशी कंपनियों, पूंजीवाद व सामंतवाद का साम्राज्य है. ये लूट बंद करनी है तथा देश के सब वग व मजहब के लोगो को आर्थिक व सामाजिक न्याय दिलाना है. हम भारतीय अपनी जाती या मजहब के कर्ण गरीब नहीं हैं. अपितु इसका मूल कारण कालाधन, भ्रष्टाचार, व अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यवस्थाएं हैं. देश के १२१ करोड़ लोगो को ये उनका जन्मसिद्ध अधिकार, नैसर्गिक, मौलिक व संवैधानिक कानूनन अधिक हम किसी भी कीमत पर दिलायेंगें.
६. कालाधन कितना है?: इस देश में वास्तविक रूप से एक लाख टन सोना है, जिसकी कीमत लगभग ३०० लाख करोड़ है.इसमें से लगभग ८० प्रतिशत कालाधन ही है, क्योकि लगभग २० हज़ार टन सोना ही वैध रूप से देश में है. माइनिंग, रीयल स्टेट, नशा उद्योग, कालाबाजारी, राजनीति, शिक्षा, चिकित्सा व कानून आदि के क्षेत्र में भी कम से कम बराबर का या दोगुना कालाधन है. कुल मिलाकर देश की अर्थव्यवस्था का वास्तविक आकार लगभग ५०० लाख करोड़ रूपये है, जबकि जी.डी.पी. के रूप में लगभग ८०-१०० लाख करोड़ रूपये की ही अर्थव्यवस्था दिखाई जा रही है. देश विदेश में जमा शेष ये ४०० लाख करोड़ से भी अधिक कालाधन १प्रतिशत से ५प्रतिशत कुछ बड़े, बुरे व बेईमान लोगो के पास जमा है. इसी कालेधन को ९५प्रतिशत से ९९प्रतिशत आम लोगो तक पहुँचाना है. इसमें कुछ ब्लैक मनी है, कुछ ग्रे मनी है, कुछ लूट, चोरी व रिश्वतखोरी व घोटालों आदि का पैसा है, इसमें से प्रतिवर्ष कुछ पैसा देश के भीतर जमा होता रहता है या घूमता रहता है तथा कुछ देश के बाहर विदेशों में चला जाता है. दुनिया के सभी अर्थशास्त्री एक बात से पूर्ण सहमत हैं की पूरी दुनिया की अर्थव्यस्था वैध रूप में लगभग ३ हज़ार लाख करोड़ रूपये की है तथा इतना ही अर्थात ३ हज़ार लाख करोड़ अवैध या कालाधन है तथा अमेरिका व इंग्लॅण्ड सहित मुख्यरूप से यूरोप के देश कर्ज के रूप में इसी कालेधन को अपने देशो में इस्तेमाल कर रहे है तथा भोग विलास एवं सुख सुविधाएँ भोग रहे है तथा भारत जैसे देश गरीबी व भूख आदि से जूझ रहे है. अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ़्रांस, लग्जमबर्ग जैसे देशो ने अपनी अर्थव्यवस्था, अपनी जी.डी.पी. से करीब दो से तीन गुणा अधिक विदेशी कर्ज के रूप में इसी ब्लैकमनी को लिया हुआ है. पूरा विवरण भारत स्वभिमान की वेबसाइट www.bharatswabhimantrust.org पर "कालेधन का पूरा सच" नामक पत्रक में देख सकते है. 'एकं सद् विप्राः बहुध वदन्ति' एक ही सत्य को ज्ञानी महापुरुष समझाने के लिए अनेक प्रकार से कहते हैं. इतने तथ्यों के बाद भी क्या ये ४०० लाख करोड़ का कालाधन दिख नहीं रहा है? क्या इस कालेधन पर देश के १२१ करोड़ भारतीयों का हक़ नहीं है? क्या ये कालाधन देश वासियों को मिलना नहीं चाहिए? देश की अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में कालेधन के आने से तथा विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करके देश को दिलाने से देश में सभी टैक्स न्यूनतम स्तर पर आ जायेंगे तथा गैस, डीज़ल, पैट्रोल, साईकिल, मोटरसाइकिल व कार आदि से लेकर्र शैम्पू-साबुन व जूता चप्पल आदि रोज़मर्रा की सभी वस्तुए ३० से ५० प्रतिशत तक सस्ती हो जाएँगी. महंगाई खतम होने व टैक्स कम होने से सभी देश वासी धनवान तथा सुखी बनेंगे.
७. अर्थ की महत्ता: यद्यपि अर्थ सब कुछ नहीं है लेकिन क्योकि हर प्रकार के ज्ञान व मेहनत का मूल्यांकन अर्थ में ही होता है अतः इस देश को आर्थिक न्याय व सामाजिक न्याय दिलाने के लिए कालाधन देश को दिलाना, भ्रष्टाचार मिटाना व अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यस्था को बदलना बहुत ही जरूरी है. जनसँख्या विस्फोट, प्रतिभा पलायन, बाढ़ व सूखे से बचाव हेतु जलप्रबंधन, कचरा प्रबंधन, महंगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा,भूख, गरीबी, नक्सलवाद आदि सब समस्याओ का स्वतः ही समाधान ये तीन काम होने पर हो जायेगा क्योकि सभी समस्याए या विषमताएं आर्थिक व सामाजिक अन्याय व शोषण के कारण ही उत्पन्न हुई हैं.
८. हमारे तीन मुद्दे व तीन मूल्य: आर्थिक शक्ति संपन्न आध्यात्मिक भारत का निर्माण ही हमारा मुख्य ध्येय है. विकेंदित विकासवाद व आध्यात्मिक समाजवाद के मूल्यों के साथ सर्वोदय के विकास के सिद्धांत या दर्शन के अलावा हमारा कोई गुप्त एजेंडा या आइडिओलौजी नहीं है. इस लक्ष्य को पाने के लिए कालाधन, भ्रष्टाचार व व्यवस्था परिवर्तन ये तीन हमारे मुद्दे हैं तथा करप्शन, क्राइम व करैक्टर- इन तीन दोषों से मुक्त रहकर कार्य काना, यही हमारे तीन मूल्य व आदर्श हैं. इनसे जो सहमत हैं, वे सभी देशभक्त भारतीय हमारे इस काम में हमारे साथ आ सकते हैं.
९. षड्यंत्रों के बीच संघर्ष: आर्थिक व सामाजिक न्याय की इस लड़ाई में हमे एक साथ कई मोर्चो पर जूझना है, अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र, ताकतवर पूंजीवाद, भ्रष्ट राजसत्ता, पेड मिडिया, पेड बुद्धिजीवी व यथास्थितिवादी पेड शासनतंत्र के चक्रव्यूह को भेदना और साथ ही जनता को जगाना. इतनी बड़ी लड़ाई के लिए तैयारी भी हमे चारो तरफ से बहुत बुद्धिमानी से तथा बड़ी ही करनी है. हम आह्वान करते हैं की वर्तमान व्यवस्था से पोषित व लाभान्वित लोग भी वंचित लोगों के प्रति न्याय की इस लड़ाई में अवश्य साथ दे. समर्थो का असमर्थो की सेवा के लिए आगे आना ही सच्चा धर्म व मानवता है.
१०. अमेरिका की तानाशाही: कुछ चंद लोग अमेरिका को चलायें तथा अमेरिका अपनी दादागिरी से, अलोकतांत्रिक व अन्याय पूर्ण तरीके इ पूरी दुनिया को चलाये, ये घोर पाप व अन्याय है. वर्ल्ड बैंक, आई.ऍम.अफ.,यू.एन.ओ., डब्ल्यू.टी.ओ. तथा डब्लू.एच.ओ. पूर्णतः अमेरिका के नियंत्रण वाली इन पांचो संस्थाओं की पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली, स्ट्रक्चर व करेक्टर को भी हमे बदलना होगा. तभी हम अपने देश भारत व दुनिया में उन सबको उनका न्याय पूर्ण हक़ दिलवा पायेंगे और दुनिया को आर्थिक युद्ध व अन्याय से बचा पाएंगे.
११. युवा शक्ति: भगवान् राम, योगेश्वर श्रीकृष्ण, आचार्य चाणक्य व चंद्रगुप्त, शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, अशफाक उल्ला खान व रानी लक्ष्मी बाई आदि लाखो वीर वीरांगनाएं युवा थे, युवाओ में परिवर्तन का अपरिमित सामर्थ्य होता है. युवा शक्ति राष्ट्र शक्ति है यह भगवत शक्ति है और आदर्श राष्ट्र का आधार है. दुनिया के किसी भी देश के पास भारत जितनी युवा शक्ति नहीं है.
१२. भारत की समझ: वीर वीरांगनाये, ऋषि-ऋषिकाये, संत, सूफी परम्पराएं, सभी जाति वर्ग, मज़हब, ज्ञान का शाश्वत प्रवाह व विवेकपूर्ण वैज्ञानिक हमारी संस्कृति, सभ्यता रीति-रिवाज़ व जीवन के उच्च आदर्श ये सभी हमारी विरासत है- इस सम्पूर्ण भारत को लेकरके हमें एक आर्थिक शक्ति संपन्न, आध्यात्मिक राष्ट्र का निर्माण करना है, सबको आर्थिक व सामाजिक न्याय या बराबरी का हक़ दिलवाना है.
१३. सब समस्याओं का समाधान भारत स्वाभिमान: सौ बातों की एक बात जो कुछ इस देश में है या देश का है, उस पर इस देश के १२१ करोड़ लोगो का बराबर का हक़ है. सत्ता, संपत्ति, व्यवस्था, ज्ञान, शासन व सम्मान इन सबमे सबको बराबरी का अधिकार नहीं मिल रहा. व्यवस्था परिवर्तन के विभिन्न पहलुओ को लेकर सामाजिक, आध्यात्मिक व राजनैतिक लड़ाईयां लड़ी जा रही हैं. कोई जल, जंगल, जमीन के हक़ को लेकर लड़ रहा है तो कोई किसान, मजदूर, व कारीगरों के साथ-साथ हिंदू-मुस्लिम, दलित-महादलित, वनवासी-आदिवासी, वाल्मीकि, भूमिहीन, साधनहीन, दबे कुचले, पिछड़े-अतिपिछड़े आदि अनेक सवालों को लेकर लड़ाईयां हमारी तभी पूरी होंगी जब सबको आर्थिक व सामाजिक न्याय हम दिला सकेंगे. सत्ता व व्यवस्था में बराबर का हक़ भी तभी मिलेगा, जब कालाधन, भ्रष्टाचार व अन्यायपूर्ण भ्रष्ट व्यस्था खतम होगी. अतः इस लड़ाई को हम सबको मिलकर लड़ना है. इसी में समस्त समस्याओ का समाधान छिपा हुआ है क्योकि मूल समस्या आर्थिक विषमता, गरीबी व सामाजिक अन्याय, शोषण व अपमान है.
१४. आदर्श: सबके आदर्श सत्य, अहिंसा, अस्तेय, सदाचार व अपरिग्रह, शुचिता, संतोष, तप, स्वाध्याय तथा इश्वर-प्रणिधान हैं. प्रसन्नता, सुख, शांति, संतुष्टि, पूर्ण तृप्ति, सम्मान व स्वाभिमान सबके जीवन के मूल लक्ष्य या मूलभूत आवश्यकताएं हैं. धूर्त ताकतवर लोग झूठ को सत्य तथा सत्य को झूठ के रूप में आरोपित करने का अर्थात सच पर पर्दा डालने या उसे कुचलने या झुठलाने की चाहे कितनी भी कोशिश करें, सत्य को सताया तो जा सकता है, मिटाया नहीं जा सकता.
सत्यमेव जयतेI 'दृष्ट्वा रूपे व्याकरोत सत्यानृते प्रजापतिःI अश्रद्धामनृतेदधत् श्रद्धां सत्ये प्रजापतिःII'
१५. जीवन का लक्ष्य: जीवन व जगत में पिंड व ब्रह्मांडमें ब्रह्मत्व को समझना, जीना व स्थापित करना ही हमारे जीवन का अंतिम लक्ष्य है. भगवान् की न्याय पूर्ण व्यस्वस्था को जीवन, समाज या राष्ट्र में कायम करने हेतु ही हमारा ये सम्पूर्ण अभियान है.
१६. प्रथम होने की शक्ति: प्रत्येक व्यक्ति व राष्ट्र में प्रथम होने की शक्ति है. देश के प्रत्येक इंसान व हिंदुस्तान को सेवा व आंदोलन से प्रथम कोटि का मानव बनाना हमारा लक्ष्य है.
१७. अपेक्षाएं: श्रद्धेय स्वाजी जी व इस आंदोलन से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं से देश के करोडो लोगो को बहुत बड़ी अपेक्षाएं, आशा व विश्वास है. हमे किसी भी कीमत पर करोडो लोगो के भरोसे को पूरा करना है. नही तो देश में सदियों तक जन-आंदोलन चलाने वाले संगठनों व व्यक्तियों पर से देश व देशवासियों का विश्वास ही उठ जायेगा तथा घोर निराशा व अविश्वास के बादल छा जायेंगे. अतः समझदार व जिम्मेदार लोगों को अब पूरी प्रमाणिकता के साथ इस परिवर्तन के लिए तैयार होना है.
१८. व्यवस्था परिवर्तन के मुख्य बिंदु: (१)राष्ट्रीय किसान आय आयोग का गठन (२) सामान शिक्षा व्यवस्था(३) समान चिकित्सा व्यवस्था (४) चुनाव सुधार (५) राष्ट्रीय प्रबंधन निति (६) अंग्रेजी काले क़ानून खतम करवाना तथा (६) न्याय पूर्ण स्वदेशी व्यवस्था की स्थापना करना.
नोट: व्यवस्था परिवारतन के उपरोक्त मुद्दे पर आप हमारी वेबसाइट www.bharatswabhimantrust.org पर देख सकते हैं.
१९. योगपीठ की मुख्य सेवाएं:
(I) ११ करोड़ से अधिक लोगो को श्रधेय स्वामी जी द्वारा शिविरों में प्रत्यक्ष प्रशिक्षण तथा दुनिया के २०० सेI अधिक देशो में योग तथा भारतीय संस्कृति को प्रतिष्ठा मिली है. योग, आयुर्वेद व स्वदेशी के राष्ट्र व्यापी व विश्वव्यापी रचनात्मक सेवा कार्य के साथ-साथ राष्ट्रव्यापी आंदोलन भी चल रहा है.
(II) शहीदों का सम्मान, बिहार बाढ़, सुनामी, मुंबई का आतंकी हमला, राष्ट्रीय आपदाओ में श्रेष्ठ सेवाए व अन्य प्राकृतिक आपदाओ के समय देश की सेवा, रक्तदान, वृक्षारोपण, गरीब कन्याओ का विवाह, कन्या भ्रूण हत्या विरोध, करोडो लोग रोग मुक्त बनने के साथ-साथ नशा मुक्त जी रहे हैं.
(III) पतंजली योगपीठ, पतंजलि विश्वविद्यालय, आयुर्वेद कॉलेज, गुरुकुल, गरीब छात्रों को छात्र वृत्ति, ग्रामोद्योग व विषमुक्त खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम, गोशाला, हजारो गरीब लोगो के लिए महर्षि वाल्मीकि धर्मशाला, संतरविदास लंगर, योग आयुर्वेद को पुनर्जीवित करना, न्यूनतम मूल्य पर औषधियां व अन्य स्वदेशी खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराना, पतंजलि चिकित्सालय, आरोग्य केन्द्र व स्वदेशी केन्द्रों की स्थापना द्वारा राष्ट्र सेवा, पतंजलि योगपीठ में योग, आयुर्वेद व स्वदेशी की सेवा के माध्यम से प्रतिदिन करोडो लोग प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते हैं. इन सेवाओ का यदि आर्थिक मूल्यांकन करे तो यह सेवा कई सौ लाख करोड़ रूपये से अधिक की होगी
करोडो लोगो की ये निस्वार्थ सेवा ही हमे सबसे बड़ी ताकत है. इस देश के लोगो में श्रद्धा व कृतज्ञता का भाव बहुत ही गहरा है. जिन लोगो की हमने सेवा की है वे गहरे कृतज्ञता के भाव से भरे हुए हैं. १२१ करोड़ लोगो के हक़ की लड़ाई को चाहे कोई १ व्यक्ति लड़े या १ करोड़ या १२१ करोड़ लोग एक साथ मिलकर लडें, लड़ाई हमेशा योद्धा लूट ले या उसकी इज्जत लूट ले इसे न्याय पूर्ण नहीं ठहराया जा सकता. अतः लड़ाई में संख्या महत्वपूर्ण नहीं होती, न्याय महत्वपूर्ण होता है.
२०. आपका सहयोग, योगदान व भूमिका: आप भी इस अभियान से जुडकर योग सीखिए, आत्म निर्माण कीजिये तथा राष्ट्रनिर्माण के इस कार्य में अपनी-अपनी शक्ति के अनुसार तन-मन-धन से सहयोग कीजिये. योग शिक्षक या सक्रिय कार्यकर्ता या पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में इस राष्ट्र यज्ञ में अपना सहयोग दीजिए. हम बड़े कारपोरेट हॉउस, सरकार, विदेशी कंपनियों व बेईमान लोगो के पैसो के बल पर सेवा कार्य नहीं चलाना चाहते हैं. सेवा, तप, त्याग व चरित्र के बल पर हमारा ये अभियान या ईश्वरीय काम अवश्य पूरा होगा.
II मा व: स्तेन इशत II
चोर्, लुटेरे व अपराधी हम पर शासन न करें I
II मा व: स्तेन इशत II
चोर्, लुटेरे व अपराधी हम पर शासन न करें I
निवेदन: भारत स्वाभिमान के सदस्य बन कर इस ऐतिहासिक क्रांति में भागीदार बनने के लिए आगे आइये व अपना भागवत व राष्ट्रधर्म निभाइए.
साभार:
वास्तविक सूत्र: