भारत स्वाभिमान मुरादाबाद ॐ 20-072012
काला धन देश को दिलाने के लिए दो महत्त्व पूर्ण पहलू हैं. एक राजनैतिक इच्छाशक्ति व इमानदारी तथा दूसरा कानूनी प्रक्रिया में नए प्रावधान.
दोनों ही विषयों के सन्दर्भ में हम संक्षेप में कुछ तथ्य रख रहे हैं, जिससे आपको इस विषय में मूलभूत सही जानकारी हो सके और आपको कोई षड्यंत्र करके भ्रमित न कर सके. राष्ट्र हित में हमारा ये आंदोलन खाली सुहाना सपना या कल्पना नहीं है, अपितु सबसे बड़ी हकीकत है.
(क) सरकार के पास पुलिस, आई बी, राँ, विजिलेंस व इंटेलिजेंस एजेंसियां तथा
अलग-अलग टैक्स अर्जित करने वाले विभाग आदि लगभग २० लाख से अधिक लोगों के इस सरकारी तंत्र के माध्यम से केन्द्र सरकार को सब कुछ पता है की कौन हवाला कर रहा है?कौन अंडर इन्वायेसिंग तथा ओवर इन्वयेसिंग तथा अन्य प्रकार की बिलिंग में हेरा फेरी कर रहा है? कौन बैंकिंग के गोपनीयता कानूनों का दुरूपयोग करके पैसा बाहर भेज रहा है? कौन रिश्वत ले रहा है? कहाँ-कहाँ घोटाले हो रहे हैं? किस-किस विभाग में कितनी लूट मची हुई है? सरकार यदि इमानदारी व मज़बूत राजनैतिक इच्छाशक्ति से काम करे तो तुरंत प्रभाव से कालेधन की अर्थव्यवस्था पर लगाम लगा सकती है. सत्ताओ को संचालित करने वाले राजनैतिक दलों में इमानदारी व प्रबल इच्छाशक्ति होती तो यह कालाधन जमा ही नहीं होता. अतः अब तो एक ही समाधान नज़र आता है कि वर्तमान
केन्द्र सरकार इमानदारी से कालाधन देश को दिला कर १२१ करोड़ लोगो को न्याय दिलाये और ऐसे प्रावधान तय करे कि इमानदार लोग ही संसद मे जायें तथा कालाधन देश को दिलवायें व भ्रष्टाचार मिटायें .
(ख) दूसरी कानूनी प्रक्रियाएं हैं, जिनसे हम देश मे १०० प्रतिशत आर्थिक पारदर्शिता ला सकते हैं और इस कालेधन व
भ्रष्टाचार पर नकेल कस सकते हैं. कालाधन देश को दिलाने कि मुख्य कानूनी प्रकियाए:-
१. केन्द्र सरकार विदेशों में जमा कालेधन व अवैध संपत्ति को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करे.
२. विदेशों में जमा काले धन व अवैध संपत्ति का पता लगाने के लिए "बैनिफिशियल आनर्शिप" के डिक्लेरेशन का प्रावधान करे, जिससे विदेशी पूंजी निवेश के नाम पर आने वाले धन के मूल स्रोत व उसके वास्तविक मालिकों के बारे में पता लग सकेगा तथा इससे १०० प्रतिशत आर्थिक पादर्शिता आएगी. इस प्रावधान से कालाधन किन लोगो का है, इसके बारे में पूरी सच्चाई सामने आ जायेगी. अभी 'शैल कंपनीज' (कालाधन छुपाने के लिए बनाए जाने वाले फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट) व अन्य प्रक्रियाओं से जो पैसा देश में आ रहा है, उसके वास्तविक मालिकों के बारे में कुछ भी पता नहीं लगा सकते. जो विदेशी पूंजीनिवेश के नाम पर बाहर से देश में धन ला रहे हैं व देश में जमा अवैध धन-संपत्ति तथा विदेशों में भी जमा शेष कालाधन व अवैध संपत्ति मुख्य रूप से इन्ही लोगों की है. अतः बैनिफिशियल ऑनरशिप के प्रावधान के बिना, कालाधन किन लोगों का है इसका पता ही नहीं लगाया जा सकता तथा इस प्रावधान के होने पर कोई भी बड़ा भ्रष्टाचारी बच नहीं सकता.
३. विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका में विगत ३० वर्षों में शीर्ष पर रहे वरिष्ठ पदाधिकारियों व शीर्ष उद्योगपतियों पर बिना किसी पक्षपात के सामान रूप से प्रिवेंशन ऑफ करप्शन और मनी लांड्रिंग एक्ट्स तथा पोलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन्स के तहत नए प्रावधान करके एक जनरल परपज ऍफ़.आई.आर. दर्ज करके उनकी व उनके रिश्तेदारों की विदेशों में जमा अवैध धन-संपत्ति का पता लगाया जाये.
४. प्रोमिसरी-नोट तथा पार्टिसिपेटरी नोट(पी.एन रूट) की आर्थिक व्यवस्था, जिससे काले धन का कारोबार पनप रहा है और लाखो करोड़ रूपये के काले धन को भ्रष्टाचारी लोग इस जरिये से सफ़ेद कर रहे हैं, इन दोनों प्रक्रियाओ को तुरंत बंद किया जाये. विदेशों में कालाधन जमा करने वाले लोगो के बारे में इमिग्रेशन विभाग, वीज़ा विभाग, विदेश मंत्रालय, विभिन्न देशों के दूतावासो के माध्यम से जानकारियाँ जुटा कर
टैक्स हैवन्स में बार-बार जाने वाले व्यक्तियों के बारे में पता लगाया जाये साथ ही
इंटरनेशनल इन्फोर्मेशन गेट-वेज़ पर टेक्निकल सर्विलांस द्वारा इन्वेस्टिगेशन करके
देश विदेश में बैठकर जो लोग कालेधन का धंदा चला रहे हैं,
उनके बारे में पता लगाया जाए.
५. बैंकिंग सीक्रेसी कानूनों (लॉज) में
आमूलचूल परिवर्तन करके तथा स्विट्जर लैंड, अमेरिका,
इंग्लैंड, इटली आदि
देशों के विदेशी बैंक जो भारत में खुले हुए हैं और वे धडल्ले से कालाधन जमा कर रहे
हैं, इन विदेशी बैंको की टैक्स हैवन्स में
चल रही शाखाओं के बारे में पूरा ब्यौरा
देने का प्रावधान करके कालेधन पर लगाम लगाईं जाए.
६. विदेशों में जमा कालेधन के बारे में
सरकार के पास उपलब्ध ३६ हज़ार सूचनायें, लगभग
९ हज़ार ९०० विदेशी ट्रांजैक्शंस और विदेशों में खाते रखने वाले अभी तक ज्ञात कम से कम ३००० के लगभग नाम
सार्वजानिक किये जाएँ और इन लोगो के पास जितना भी कालाधन है,
उसे तत्काल देश को दिलाया जाए.
७. विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने
के साथ-साथ देश में ही जमा लाखो करोड़ रूपयें के कालेधन की अर्थव्यस्था को समाप्त
करने के लिए देश की आर्थिक नीतियों व कर प्रणाली में एक बहुत बड़ा सकारात्मक सुधार
किया जाए. किसी भी देश की आदर्श अर्थव्यस्था के लिए उसकी जी.डी.पी. की २-३ प्रतिशत
ही करेंसी सर्कुलेशन में होनी चाहिए, और
वह भी छोटी डिनोमिनेशन की करेंसी में होनी चाहिए. शेष अर्थव्यवस्था टेक्नोलोजी बेस्ड बैंकिंग ट्रांजेक्शन,
चैक, ड्राफ्ट,
क्रेडिट, डेबिट व
स्मार्ट कार्ड, मोबाईल
ट्रांसफर आदि से चलती है और ये सभी ट्रांजैक्शंस ट्रेसेबल होते हैं और इससे काले
धन की अर्थव्यवस्था पर प्रभावी अंकुश लगता है. जबकि भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग
१८ प्रतिशत करेंसी है और उसमें से भी ९७
प्रतिशत बड़ी करेंसी है. अतः ५००, १०००
के बड़े नोट वापस लेकर कालेधन, भ्रष्टाचार,
कालेधंधे, महंगाई,
गरीबी, नकली करेंसी,
नक्सलवाद व आतंकवाद आदि सभी अनैतिक व अवैध कार्यों पर अंकुश
लगाएं. साथ ही भारत की कर प्रणाली भी बहुत ही दोषपूर्ण है अतः इसमें भी एक बहुत
बड़े सुधार की आवश्यकता है.
हमें समग्र रूप से त्वरित कार्यवाही करते हुए कालाधन भी लाना है साथ ही भष्टाचार को भी
मिटाना है तथा लगभग २० हज़ार लाख करोड़ रूपये की भू-संपदाओं को भी बचाना है. भारत
में कोयला, लोहा, सोना,
चांदी, हीया,
गैस व पट्रोल आदि ८९ प्रकार की भू-संपदाए हैं. इनकी कुल कीमत लगभग २० हज़ार लाख करोड़ रूपये है.
यदि भ्रष्टाचार को हमने खत्म नहीं किया और भू-संपदाओं की लूट को नहीं रोका गया तो
भारत-माता की हिरण्यगर्भा कोख खली हो जायेगी. यदि हम केवल भुसंपदाओं को बचाकर
रखते हैं तो भात को विश्व की आर्थिक
महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता.
साभार: योग सन्देश मासिक के जून'२०१२ अंक से साभार
वास्तविक सूत्र: योग सन्देश मासिक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें