गीता की कसम तुम्हे, तुम्हे कसम कुरान की

गीता की कसम तुम्हे, तुम्हे कसम कुरान की 
बिबले की कसम, तुम्हे कसम इमान की 

देश की पुकार है, पुकार है समाज की
राष्ट्र धर्म बन गयी है एकता है आज की
देश की सम्रद्धि में लगा दो बाजी जान की 

देश, भाषा, ज्योतियों के बीच न विवाद हो
हर हृदय विशाल हो एक स्वाभिमान हो 
आ गयी कठिन घडी परख तेरे इमान की 

दाव, पेंचों ने हमारे धर्म को जकड लिया 
मूक धर्म, हो विवश तड़प रहा बिलख रहा
हटो नहीं स्वधर्म से कसम तेरे जबान की

रचनाकार: सदाशिव पाण्डेय,   स्रोत: योग सन्देश पत्रिका, जून अंक 

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